ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Tuesday, March 20, 2012
स्वमेव भारत
Labels:
History,
India,
Life is just a Life,
Neeraj Dwivedi,
Truth,
wake up india,
स्वमेव भारत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured Post
मैं खता हूँ Main Khata Hun
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...

बहुत सुन्दर ..!
ReplyDeletesunder rachna ... !!
ReplyDelete