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मैंने बचपन में ये सरस्वती वंदना याद की थी .. कुछ दिनों पहले ही मैंने इस वंदना को याद करने की कोशिश की पर मुझे पूरी तरह याद नहीं आयी। कल एक भाई के सहयोग से मुझे ये फेसबुक में मिलीं। शायद आप सबको भी इस प्रभावी और बहुत सुमधुर वंदना की जरूरत पड़े इसीलिए यहाँ ब्लॉग मे आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ।
प्रस्तुत है --
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
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