मोहब्बत का पिंजरा
वक्त बेवक्त कुछ लम्हें
छू जाते हैं,
जेहन में एक चुभन छोड़ जाते
हैं।
लोग मासूमियत से हँसकर यादों में,
ख्वाबों में खुद को दफन छोड़ जाते हैं।
नजाकत हुस्न की हो या मौत
की,
दोनों आह और फरियाद
छोड़ जाते हैं।
ये मुमकिन है हकीकत हकीकत न रहे,
कल को बड़े बड़े लोग दम तोड़ जाते हैं।
मंजिलों का
साथ सबको नहीं मिलता,
कुछ को राह के हमराज़ तोड़ जाते हैं।
निशान रह न जाए जेहन में कहीं भी,
अपनी मोहब्बत का पिंजरा तोड़ जाते हैं।