जीवन अनजानी राहों पर
चलता एक तारा है,
कब टूट गिरे मर जाये पर सबको प्यारा
है।
नहीं दिशा का ज्ञान जरा भी,
नहीं ज्ञात है लक्ष्य देह का,
नहीं पता विस्तार समय का,
नहीं सत्य अनुमान नेह का,
पर इन्द्रधनुष रंगीं सपनों का अनछुआ किनारा है।
जीवन अनजानी राहों पर चलता एक तारा है,
कब टूट गिरे मर जाये पर सबको
प्यारा है।
ओस सदृश खुशियों सी बूंदे,
किस पल हो जायें छूमन्तर,
टूट पड़े किस पल पर्वत सा,
कोई दुःख हो विह्वल अंतर,
पर गोरी काली गंगा यमुना की अविरल धारा है।
जीवन अनजानी राहों पर चलता एक तारा है,
कब टूट गिरे मर जाये पर सबको प्यारा है।
कभी भाव भरे होते हैं आंसू,
फिर शब्दों का ही करते मंचन,
क्षण भर के बोझिल जीवन का,
तब भार उठाते अश्रु अकिंचन,
पर जिस पल जीता उस पल में ही हरदम हारा है।
जीवन अनजानी राहों पर चलता एक
तारा है,
कब टूट गिरे मर जाये पर सबको प्यारा है।