ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं, और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं। होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
सुन्दर प्रस्तुति |होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
very nice
आपको सपरिवार होली की शुभकामनायें !
bhai neeraj ji bahut hi sundar rachana likhi hai ap ne koti koti badhai
प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteहोली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
very nice
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की शुभकामनायें !
ReplyDeletebhai neeraj ji bahut hi sundar rachana likhi hai ap ne koti koti badhai
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