ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं, और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं। होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
kya baat hai aisi najmo ki kami hai aaj ....shukriya ji /
प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
kya baat hai
ReplyDeleteaisi najmo ki kami hai aaj ....shukriya ji /