ऐ मनुज तू
काट मुझको
दंड दे मेरी खता है,
खोदकर अपनी
जडें ही
मृत्यु से क्यों तोलता है?
धार दे चाकू छुरी में, और पैनी कर
कुल्हाड़ी,
घोंप दे मेरे हृदय में, होश खो पी
खूब ताड़ी,
जान ले मेरी
हिचक मत
बेवजह क्यों डोलता है?
रुक गया क्यों, साँस लेने की जरूरत
ही तुझे क्या,
मौत से मेरी मरेगा कौन, क्यों, कैसे
मुझे क्या,
सोच, तू अपनी
रगों में
ही जहर क्यों घोलता है?
नष्ट कर सारे वनों को, खेत तू सारे
जला दे,
सूख जब जाए तलैया, ईंट पत्थर से सजा
दे,
छेद कर आकाश
तू अपनी
छतें क्यों खोलता है?
है जमीं तेरी बपौती, और पानी भी हवा
भी,
छीन ले मातृत्व इसका, और विष दे कर
दवा भी,
बाँझ कर फिर
इस धरा को
मातु ही क्यों बोलता है?
--- नीरज द्विवेदी
Ae manuj tu kaat mujho
dand de meri khata hai
Khodkar apni jadein hi
mrityu se kyon taulta hai
Dhar de chaku churi mein,
aur paini kar kulhadi,
Ghonp de mere hriday mein,
hosh kho pee khoob tadi,
aur paini kar kulhadi,
Ghonp de mere hriday mein,
hosh kho pee khoob tadi,
Jaan le meri hichak mat
bevajah kyon dolta hai?
Ruk gaya kyon, sans lene
ki jarurat hi tujhe kya,
ki jarurat hi tujhe kya,
Maut se meri marega kaun,
kyon kaise mujhe kya,
kyon kaise mujhe kya,
Soch, tu apni ragon mein hi
jahar kyon gholta hai?
jahar kyon gholta hai?
Nasht kar sare vanon ko,
khet tu saare jala de,
khet tu saare jala de,
Suukh jab jaye talaiya,
iint patthar se saja de,
iint patthar se saja de,
Ched kar akash tu apni
chatein kyon kholta hai?
Hai jamin teri bapauti,
aur pani bhi hawa bhi,
aur pani bhi hawa bhi,
Cheen le matritv iska,
aur vish de kar dawa bhi,
aur vish de kar dawa bhi,
Baanjh kar fir is dhara ko
maatu hi kyon bolta hai?
--- Neeraj Dwivedi
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " किताबी संसार में ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ आदरणीय मिश्रा जी.
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-06-2016) को "वाह री ज़िन्दगी" (चर्चा अंक-2377) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपके स्नेह का आभारी हूँ आदरणीय रूपचन्द्र जी
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