Friday, March 21, 2014

जब अपना सूरज आयेगा Jab Apna Suraj Ayega

जब अपना सूरज आयेगा


वो चाँद उधारी लेकर निकला आम आदमी सा,
भोले तारों को छलकर बन बैठा खास आदमी सा,
भूल गया है समयचक्र रातों का अंत सुनिश्चित है,
हर प्रभात के संग उदय होना सूरज का निश्चित है,

अरुणोदय का इन्तजार है भारत को सबसे ज्यादा,
राजा बनने को लालायित पिद्दी से पिद्दी प्यादा,
ये अँधियारा बीतेगा घरघोर कुहासा जल्दी जायेगा,
कुछ एक दिनों का इंतजार है अपना सूरज आयेगा,



इक सुभाष अंगडाई लेगा अपना शौर्य दिखायेगा,
भारत माँ के चरणों में जीवन का अर्घ्य चढ़ाएगा,
धरती को खुशहाली देगा वो भ्रष्टाचार मिटाएगा,
गद्दारों को चुन चुन कर फांसी लटकाया जायेगा,

जब अपना सूरज आयेगा।

-- नीरज द्विवेदी


Tuesday, March 18, 2014

मेरे विश्वास Mere Vishwas

मेरे विश्वास

अब नहीं गिनना चाहता मैं मात्राएँ
बनाने को छंद,
बुनने को अपने द्वंद,
क्यों सहारा लूँ पन्नों का
क्यों बहा दूँ अपनी भावनाएं स्याही के रंग में
शब्दों के ढंग में
और क्यों बताऊँ दुनिया को अपने एहसास
अपनी आत्मा के विश्वास,
मुझे डर है
मेरे अपनों की यादें
मेरे सपनो की बातें
मेरे बनने की रातें,
मेरा अहम्, मेरा स्वयं,
मेरा अभिमान, मेरा सम्मान
सब कुछ
भुला दिया जायेगा
जैसे उसने
भुला दिए
मेरे विश्वास …
n  नीरज द्विवेदी ( Neeraj Dwivedi )

Monday, March 10, 2014

गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं Garjane wale aksar barste nahi

गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं

मुझे पता है,
गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं,
पर तुम्हें पता है,
वो बरसते नहीं या बरस नहीं पाते?

उनकी भी अपनी हद होती है,
कोई मज़बूरी रही होगी, बरस नहीं सकते,
शायद इसलिए गरजते हैं,
आशान्वित करते हैं,
ढाढस देते हैं,

कि जितना तुम्हें उनके बरसने का इन्तजार है,
शायद उतना ही या उससे अधिक,
उन्हें भी अपने बरसने का इन्तजार है,
इंतजार है खुद के पिघलने का,
तुमसे मिलने का,
तुमसे एक रूप होने का,
और फिर,
मात्र तुम हो जाने का।

n  नीरज द्विवेदी
n  Neeraj Dwivedi

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