Wednesday, February 27, 2013

बताओ न Batao na

फ़ोन में एक नंबर है ...
जिसे रोज देखता हूँ ...
उँगलियाँ उचकती हैं ...
पता नहीं क्या करने को ... फ़ोन में ही ...
फिर ...
न जाने क्या सोच कर ...
अटक जाती हैं ...
तभी कुछ बूँदें ...
कहीं से टपक जातीं हैं ...

तुम्हे तो पता ही होगा ...
बताओ न ...
क्या सोचती होंगीं ...
उगलियाँ और वो बूँदें ...

मुझे डर है ...
मेरे कमजोर होने की ...
नुमाइश तो नहीं ...
मेरे दिल की ...
ये साजिश तो नहीं ...
बताओ न ...

Friday, February 22, 2013

एक बार तो जी जाने दे Ek Bar To Jee Jane De


तेरी उदास आँखें
चश्में का सहारा ले
छिपा लेतीं हैं दर्द तेरा
आँखों का किनारा ले।
टूट जा अब
बिखर जा अब
पा ले खुद को, सुधर जा अब।

पत्थर होने का
नाटक मत कर
शीशा बनकर
बिखरा मत कर
रिश्तों का बोझ
सर पर ढोकर
नदिया पार
कराया मत कर।

मर जाने दो
टूटे नातें
बह जाने दो
बोझिल बातें
टूटे स्वप्नों की सौगातें

बस कर भीतर भीतर मरना
दर्द पराया बह जाने दे
तू खुद को खुद में ही पाकर
एक बार तो जी जाने दे।

Tuesday, February 19, 2013

ये ताजी जलन नहीं है Ye Taji Jalan Nahi hai


मैं  गुमसुम था  शब्दों में  आँसू में  अंगारों में,
छेड़ दिया तो टूट गए कुछ भूखे स्वप्न कतारों में,
भूखे पेटों की नज़रों से  जब जब नजर मिली है,
मैंने आशा के  सूरज देखें हैं  चन्दा में  तारों में।

समझ न आए तो तुम कोशिश मत करना,
ये शब्द नहीं हैं,
समझाने को भी मत कहना मुझसे इनमें,
मेरे अर्थ नहीं हैं,
भर लेना जो जी चाहे तुम समझो जो भी
समझ आए,
पर रखना याद कि इनमें मेरी खुदगर्जी के
सन्दर्भ नहीं है,
आग नहीं बुझने दूँगा सीने में सुलगाता
जाउँगा चिंगारी,
कमर कसो हल को हथियार बनाओ गर
तलवार नहीं है,
आंसू को अंगारे कहने की ताकत मुझमें है
पर शर्त यही है,
जब तक राख नहीं कर लेना मत बुझना
ताजी जलन नहीं है।
ये ताजी जलन नहीं है।
केवल मेरी अगन नहीं है।

Wednesday, February 13, 2013

चटका मगर मटका कोई नहीं Chatka magar Matka koi nahi


बेहद सलीके से चटका मगर मटका कोई नहीं,
अब तक मौत की  नजर से भटका कोई नहीं।

दिख तो जाते रोज हैं  कुछ एक  हसीन चेहरे,
तेरे बाद आज तक आँख में अटका कोई नहीं।

गनीमत है  कि अब तक  तुम याद  आते हो,
भुलाने को किये जो भी चला टुटका कोई नहीं।

नब्ज छूकर  हवाओं ने  कुछ फुसफुसाया था,
धरती आसमां के बीच फिर लटका कोई नहीं।

सारी उम्र कट जाने दो बेशक इसी तन्हाई में,
इतना सुकून भरा,  मिला झटका  कोई नहीं।

मेरी मंजिलें  सिमट  कर दो झील बन गयीं,
तुमसे भला  मेरी राह में  खटका कोई नहीं।

दिख तो जाते रोज हैं  कुछ एक हसीन चेहरे,
तेरे बाद आज तक आँख में अटका कोई नहीं।

Tuesday, February 12, 2013

ये नन्हे चिराग Ye Nanhe Chirag



मत बहाना बूँद आँखों  से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

ये भविष्यत्  की आवाज है,
केवल अश्रु  की फरियाद है,
इन आर्द  आँखों की जरुरत,
बस  प्यार की  बुनियाद है।

ये अस्थि पंजर दिख रहे हैं,
कुछ हाथ  बंजर लग रहे हैं,
आँखों की जुबानी प्यार की,
एक आस तुमसे कर रहे हैं।

इन्हें  डांटकर फटकार कर,
उनकी रईसत  छड रही है,
इन्हें दुत्कारने की हिम्मत,
अब  तुझसे नहीं  होगी, बू
इंसानियत की  आ रही है।

देखो इन्हें करीब से तुम जरा इन्ही के नसीब से,
अभी जो जगी तेरे दिल में  हरारत सो न जाये।
मत बहाना बूँद  आँखों से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

तुम चाहो इनको बरगलाओ,
या उपेक्षा  कर भूल  जाओ,
अपनत्व  का  देकर  सहारा,
तुम चाहो तो सपने दिखाओ।

पर भूलना मत जो भी करना,
देना  सहारा  या छोड़ देना,
तुम्हारा  कल इन्हीं के हाथ
होगा बात मेरी याद रखना।

ये भूख  इनको खा रही है,
तेरी आँख  देखे जा रही है,
अनजान  होने का  नाटक,
अब तुझसे  नहीं होगा, बू,
इंसानियत  की आ रही है।

चुपके से चाहे अनचाहे जो तेरे जेहन में उमड़ी,
भावना की  निशब्द  बदली खाली हो न जाये।
मत बहाना बूँद आँखों से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

Saturday, February 9, 2013

खुद को पाना जरूर Khud ko pana jarur

रूठती जा रही  है डगर  साथ चल,
बीतती जा  रही है उमर साथ चल,
ख्वाव जो भी बुने वो एक एक कर,
टूटते जा रहें  तू मगर  साथ चल।

उन्होंने किया  हम पे  एहसान जो,
बस हंस के दिया एक  फरमान वो,
किसी ने  कहा मुझसे  बड़ी जिंदगी,
चोट खाना जरूर पर मुस्का के चल।

कह सका वो नहीं जो भी कहने चला,
कर सका वो नहीं  जो मैं करने चला,
उठ गए जो कदम तो मैं चलता गया,
राहें कहने  लगीं अब मुझे छोड़ चल।

मंजिल ने बुलाना फिर भी छोड़ा नहीं,
स्वर्णिम सपने  दिखाना  छोड़ा नहीं,
डगमगाए  कदम तो मैं गिर ही पड़ा,
उठा भार फिर से, मेरे अरमान चल।

कुछ मिला न मिला एक जिद तो मिली,
कुछ पत्थर तो मिले मंज़िल न मिली,
चोटों ने  कहा  नीरज तुझे  है कसम,
खुद को पाना  जरूर तू इतरा के चल।

Thursday, February 7, 2013

दिमाग की बैंड बजाओ मत Dimag Ki Band Bajao Mat


तुम बरस  जाओ चिल्ल्लाओ मत,
मेरे सर पर राग भैरवी गाओ मत,
मत चीखो सब बहरे हैं,
बेशर्म हवा के पहरे हैं,
मर जाने दो भूखों को,
ये भूख संग मर जाएगी,
दो एक निवालों से दुनिया की,
भूख नहीं मिट जाएगी,
जाओ जाकर आराम करो,
बस पेट भरो और शाम करो,
कैसी बातें करते हो तुम,
दिन सी रातें करते हो तुम,
न जाने क्या सोच सोच,
चल पड़ते हो सड़कों पर,
सड़कों पर मुर्दे चलते हैं,
सो सो कर आंखे मलते हैं,
किस किस की आंखे खोलोगे,
मुर्दों को स्वप्न दिखाओगे,
सतरंगी एक स्वप्न लेकर,
तुम कब तक चलते जाओगे,
जाओ जाकर विश्राम करो,
थोडा अपना भी ध्यान करो,
किस कुम्भकरण के कानों में,
तुम बिगुल बजाने आए हो,
हम खुली आँख से सोने वाले,
हमको राह दिखने आए हो,
अपना रस्ता नापो शरमाओ मत,
मेरे दिमाग की बैंड बजाओ मत,
तुम बरस जाओ चिल्ल्लाओ मत,
मेरे सर पर राग भैरवी गाओ मत।

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