अकेले में,
सुकून से,
आँखों के खाली होने का,
दिल के हलके होने का,
रोने का भी
अपना अलग
मजा है …
ये दो चार
अनजान सी बूँदें
न जाने कहाँ से आकर,
सारा बोझ,
सारा नैराश्य,
सारा खेद,
सारा शोक,
सारी निराशा,
सारा आलस्य,
सारा क्षोभ,
न जाने कैसे
इतनी आसानी से,
इतनी सुगमता से,
न जाने कहाँ
बहा ले जाती
हैं …
और एक अद्भुत
चैतन्य पूर्ण प्रेरणा,
एक अनुभव,
एक आग्रह,
एक दिशा,
एक सोच,
एक विचार,
एक लक्ष्य,
और कभी कभी
एक नज्म दे जातीं हैं …
एक सुबह दे जातीं हैं …
हैं न?