ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Sunday, April 15, 2012
बुजुर्गों की अनदेखी
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Neeraj Dwivedi,
Shades of Life,
बुजुर्गों की अनदेखी
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मैं खता हूँ Main Khata Hun
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...

विश्वास नहीं होता क्या कोई ऐसा भी कर सकता है...बहुत दुखद है अपनों के द्वारा अपना अपमान...
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