ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Monday, April 16, 2012
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मैं खता हूँ Main Khata Hun
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...

एक सच !
ReplyDeletekalamdaan
बोध कराती सुंदर रचना !
ReplyDeleteचरफर चर्चा चल रही, मचता मंच धमाल |
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति आपकी, करती यहाँ कमाल ||
बुधवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
बिलकुल सच कहा,आपने.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयथार्थ का बोध कराती सुन्दर भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा