Saturday, April 28, 2012

उद्वेलित मानस


3 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति ।

    बधाई ।।

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  2. Kiran Arya:
    Har pal mar mar kar jeene ka kaise naam jindagi hai, jo ruk jaaye avrodho se usko dhara nai kaha karte.........waah bahut hi arthpurn abhivyakti.........

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  3. Saroj Kumar:
    बेहद खूबसूरत कविता. शब्द - भाव - अभिव्यंजना - कसावट ये सब काफी सुन्दर. भावनाएँ अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनायें रखने में सक्षम. यह इस रचना की खास खूबी है. ***कलम अधूरे अक्षर लिखकर कहाँ चैन से सोती हैं ****** यह बात आप कह पाए इसके लिए बधाई. *** हम सोने वालों ............. धरा नहीं कहा करते *** इन पंक्तियों ने तो कविता में जान डाल दी है. बहुत खूब.

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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