ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं, और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं। होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर, कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
Life is like that...beautiful lines...
बहुत सही!!
bhaut hi acchi....
bilkul sahi kaha aapne...
bilkul sahi kaha
वाह बहुत खूब कहा है... दर्द जो खुद अपने को बयान न कर दे दर्द कहलाने के लायक भी कहाँ है...
bahut ache janab!!!
प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
Life is like that...beautiful lines...
ReplyDeleteबहुत सही!!
ReplyDeletebhaut hi acchi....
ReplyDeletebilkul sahi kaha aapne...
ReplyDeletebilkul sahi kaha
ReplyDeleteवाह बहुत खूब कहा है... दर्द जो खुद अपने को बयान न कर दे दर्द कहलाने के लायक भी कहाँ है...
ReplyDeletebahut ache janab!!!
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