Saturday, August 20, 2011

बोला सुभाष

From Google

यहाँ देश धर्म करते करते, मैं चलते चलते ठहर गया,
भारत को एक करते करते, मैं ही टुकड़ों में बिखर गया,
अरे मेरा भी इक जीना था, बहता जो खून पसीना था,
इस धरती की सेवा करते, बहते बहते बस निकल गया॥

जो निकल गया सो निकल गया, इस आज़ादी की राहों में,
उसकी सोचो जो तेरी रगों में, बहता बहता ही सूख गया,
अब जाग और पहचान मुझे, हे देशभक्त, क्या पता तुम्हें?
बोला सुभाष, लड़ते लड़ते इस धरा से कब मैं चला गया?

इस धरती माँ के आँचल में, मैं तो कल ही था गुजर गया,
अब भूल मुझे बस आगे बढ, भविष्य बना ले अब उज्वल,
मुझको तो कुछ गद्दारों ने, था इस गुमनामी में ला पटका
दुःख तो बस इतना है साथी, तू तो खुद को भी भूल गया॥

जाग मुसाफिर जाग, ये तेरा अँधियारा भी गुजर गया,
अब खोल डाल गाँधी का पट्टा, दशकों से जो बंधा हुया,
आजाद, विस्मिल और भगत के बलिदानों को भूल गया,
भूल गया दुर्गा भाभी को और सावरकर को भूल गया॥

भूल गया तू धर्मवीर वंदा वैरागी, महाराणा प्रताप को,
वीर शिवा के वंशज, गुरु गोविन्द सिंह को भूल गया,
भूल गया चन्द्रगुप्त की गरिमा और वीरता भूल गया,
तप्त रक्त के धारक साथी खुद को क्यूँ अब भूल गया?

तू किन सपनों के धोखे में, अब आलस्य में है ध्वस्त पड़ा,
पहचाना स्वयं को अब तक, या यूँ ही किसी से बिदक गया,
कर्तव्यज्ञान हो गया हो अब, तो कर्मक्षेत्र सम्मुख है पडा,
बोला सुभाष हे कर्मवीर, आज तू अपनी क्षमता भूल गया?

बोला सुभाष हे भरतवीर, तू अपनी माँ को ही भूल गया?

9 comments:

  1. देशभक्ति की भावनाओं को जगाती सुंदर रचना के लिए बधाई! नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को नमन !

    ReplyDelete
  2. देशभक्ति से ओत प्रोत खुबसुरत रचना। आभार।

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत शुक्रिया अनीता जी, आपका इन्तजार रहता है इस आशा में की आप मेरी कमियों को दूर करती रहेंगी.

    बहुत आभार

    ReplyDelete
  4. अमित जी हमारे ब्लॉग तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, आगे भी आकर हमारा उत्साहवर्धन करते रहिएगा

    ReplyDelete
  5. निलेश जी हमारे ब्लॉग तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, आगे भी आकर हमारा इसी तरह उत्साहवर्धन करते रहिएगा

    ReplyDelete
  6. बिलकुल सच कहा आपने सुभाष चन्द्र बोसजी ने बहुत ही त्याग करे और यहाँ तक अपनी जान भी दे दी /बहुत ही अच्छी अभिब्याक्यी बहुत ही सुंदर भाव लिए बधाई आपको /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
    http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

    ReplyDelete
  7. What creativity! This poem is so wonderfully written:)

    ReplyDelete

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

Featured Post

मैं खता हूँ Main Khata Hun

मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ   इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...