जन्मों से जिसको माँगा है,
वो पूरी होती मन्नत है।
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
शस्य श्यामला धरती प्यारी,
ईश्वर की एक अमानत है,
सबको ये खैर मिलेगी कैसे?
बस ये तो मेरी किस्मत है॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
क्रांतिवीर विस्मिल की माता,
जननी है नेता सुभाष की,
पद प्रक्षालन करता सागर,
जिसके सम्मुख शरणागत है॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
बाँट दिया हो भले तुच्छ,
नेताओं ने मंदिर मस्जिद में,
भूकम्पों से ना हिलने वाला,
हिमगिरी से रक्षित भारत है॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
संस्कार शुशोभित पुण्यभूमि,
हैं प्रेमराग में गाते पंछी,
दुनिया को राह दिखाने की,
इसकी ये अविरल गति है॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
आदिकाल से मानव को,
जीवन का सार सिखाया है,
स्रष्टि का सारा तेज ज्ञान,
जिसके आगे नतमस्तक है॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
जन्म यहाँ फिर पाना ही,
मेरा बस एक मनोरथ है,
कर लूँ चाहे जितने प्रणाम,
पर झुका रहेगा मस्तक ये॥
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
ये धरा नहीं है, जन्नत है।
waah bhai waah.. behtareen
ReplyDeleteThank you bhai ...
ReplyDeleteVery beautiful poem on motherland. Heard such a nice poem after a long long time...
ReplyDeletebahut pyaari rachna hai neeraj ji...likhte rahiye.
ReplyDeleteप्यारी रचना....
ReplyDeleteAap sabka bahut bahut aabhar ... age bhi pyaar dete rahiyega. Bahut shukriya.
ReplyDeletebahut hi sunder prastuti .bahut badhaai aapko.
ReplyDeleteआप ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर पर पधारें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /
बहुत भावपूर्ण रचना ! बधाई !
ReplyDeleteधरा तो जन्नत है नीरजजी पर इस जन्नत को इंसान जन्नत कहाँ रहने दे रहे अपने स्वार्थ के कारण ये जन्नत जैसी धरा को नरक बनाने पर तूले हुए हैं /आपकी सोच बहुत अच्छी और गहरी है बहुत प्यारी रचना लिखी है आपने हमारी धरा पर /काश हर इंसान इसी तरह सोचता /बहुत बधाई आपको /
ReplyDeleteक्रांतिवीर विस्मिल की माता,
ReplyDeleteजननी है नेता सुभाष की,
पद प्रक्षालन करता सागर,
आज देश को सुभाष जी चाहिए
ReplyDeleteदिनांक 10/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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मैं प्रतीक्षा में खड़ा हूँ....हलचल का रविवारीय विशेषांक.....रचनाकार निहार रंजन जी
अति सुन्दर..
ReplyDeleteअति सुन्दर काव्य कृति.
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