Thursday, September 29, 2011

मत कहो सच


मत कहो कुछ, कोई बच्चा कुनमुना है,
सूर्य लेकर हाथ में, सच ढूंढने की कोशिश,
भी हार सकती है,
बाहर सब ओर कोहरा घना है॥

मत जगाओ देश को, यह अनसुना है,
किसान का हल, सैनिक की बन्दूक,
भी हार सकती है,
धन का नशा कई गुना है॥

मत कहो सच, आजकल बिलकुल मना है,
पत्रकारिता की बिकी कलम को छोड़ो, ये कलम,
ना हार सकती है
सत्य का न ही नामों निशां है॥

मत समझना, गरीब भी मानव जना है,
इन्हें बचाने की कोशिश करती, इंसानियत
भी हार सकती है
ये न मिट्टी का बना है॥

मत कहो कुछ, कोई बच्चा कुनमुना है

4 comments:

  1. सत्य हारता हुआ सा लगता है पर हारता कभी नहीं... आशा की लौ बुझने न पाए...सुंदर रचना !

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  2. बहुत सुंदर भाव लिए बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /बधाई आपको /मेरे नई पोस्ट पर आप-का स्वागत है /जरुर पधारें /
    आपको और आपके परिवार को नवरात्री की बहुत शुभकामनाएं /आभार /

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  3. very very nicely written neeraj ji...
    i like it very muchhhhh.

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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