जब अपना सूरज
आयेगा
वो चाँद उधारी
लेकर निकला आम आदमी सा,
भोले तारों
को छलकर बन बैठा खास आदमी सा,
भूल गया है
समयचक्र रातों का अंत सुनिश्चित है,
हर प्रभात
के संग उदय होना सूरज का निश्चित है,
अरुणोदय का इन्तजार है भारत
को सबसे ज्यादा,
राजा बनने को लालायित पिद्दी
से पिद्दी प्यादा,
ये अँधियारा बीतेगा घरघोर
कुहासा जल्दी जायेगा,
कुछ एक दिनों का इंतजार
है अपना सूरज आयेगा,
इक सुभाष अंगडाई लेगा अपना शौर्य दिखायेगा,
भारत माँ
के चरणों में जीवन का अर्घ्य चढ़ाएगा,
धरती को खुशहाली
देगा वो भ्रष्टाचार मिटाएगा,
गद्दारों
को चुन चुन कर फांसी लटकाया जायेगा,
जब अपना सूरज आयेगा।
-- नीरज द्विवेदी