Friday, October 17, 2014

तुम्हारे बिना भी Tumhare Bina Bhi

मैं खुश रहता हूँ,
आज कल भी
तुम्हारे बिना भी

पर तुम्हे पता है
कि मुझे कितनी हिम्मत जुटानी पड़ती है
कितनी जद्दोजेहद करनी पड़ती है
कितनी मेहनत करनी पड़ती है
कितना समझाना पड़ता है
बरगलाना पड़ता है खुद को
कितना सचेत सावधान रहना पड़ता है
हर पल हर क्षण

अपने सपाट सर्द चेहरे पर
मुस्कान की झुर्रियां लाने के लिए
एक हँसता हुआ मुखौटा लगाने के लिए
और उन्हें बरक़रार रखने के लिए

मुझे ये सब नहीं करना पड़ता
अगर तुम होते 
मेरे साथ। 

n  नीरज द्विवेदी
n  Neeraj Dwivedi

1 comment:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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