एक वृक्ष
की शाख हैं हम
साथ हैं हम,
हाथ हैं हम,
एक वृक्ष
की शाख हैं हम,
विंध्य हिमाचल
से निकली जो,
उस धारा की
गति प्रवाह हम,
मार्ग दिखाने
इक दूजे को,
बुजुर्ग अनुभव
की सलाह हम,
फटकार हैं
हम, डांट हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
बचपन का उत्साह
हम ही हैं,
खेल कूद की
हम उमंग हैं,
जीवन के हर
एक कदम पर,
जोश विजय
की हम तरंग हैं,
राह बताते
हाथ हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
हम पंजे की
अंगुलियाँ हैं,
इन्द्रधनुष
के रंग हैं हम,
जीवन की हर
उथल पुथल में,
कदम कदम पर
संग हैं हम,
पूर्ण चन्द्र
की रात हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
हम धरती का
धर्य लिए हैं,
आसमान सा
बड़ा लिए दिल,
साथ साथ बढ़ने
निकले हैं,
हाथ हाथ में
होकर इकदिल,
इक दूजे की आँख हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
साथ हैं हम, हाथ हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
साथ हैं हम, हाथ हैं हम, एक वृक्ष की शाख हैं हम।
-- नीरज द्विवेदी
--
Neeraj Dwivedi
बढ़िया !
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा !
आपका ब्लॉग फॉलो कर रहा हूँ
कृपया मेरे ब्लॉग पर आएं और फॉलो कर अपने सुझाव दें
बेहतरीन रचना , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Acchi prastuti janab
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