Tuesday, August 5, 2014

मुँहबंदी का रोजा Munhbandi Ka Roja


मेरठ पर न बोल सके तो जरा सहारनपुर पर बोलो,
जबरन धर्म बदलने की इस कोशिश पर ही मुँह खोलो,
क्या चुप ही रहोगे जब तक पीड़ित रिश्तेदार न होगा,
समय यही है अरे सेकुलर मुँहबंदी का रोजा खोलो।

-- नीरज

2 comments:

  1. हर तरह से इसका विरोध होना ही चाहिए

    ReplyDelete
  2. ज़बरदस्त विरोधी हुंकार .... काबिले तारीफ रचना

    ReplyDelete

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

Featured Post

मैं खता हूँ Main Khata Hun

मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ   इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...