चलो मिलाकर हाथ चलें, संघ
मार्ग पर साथ चलें,
आसमान में
फर फर देखो,
फहर रहा भगवा
ध्वज अपना,
कर्म रहा
पाथेय हमारा,
रचा बसा है
बस इक सपना,
एक हो हिन्दुस्तान
हमारा, मात्र यही प्रण साध चलें,
चलो मिलाकर
हाथ चलें, संघ मार्ग पर साथ चलें।
अडिग हमारी निष्ठा मन में,
लक्ष्य प्राप्ति की कोशिश
तन में,
तन मन धन सब कुछ अर्पण है,
संघ मार्ग के दुष्कर रण
में,
केशव के पावन विचार को,
ध्येय मान दिन रात चलें,
चलो मिलाकर हाथ चलें, संघ
मार्ग पर साथ चलें।
दुश्मन की
कातर ध्वनियों में,
ओज विजय का
श्वर साधें हम,
विघटित भारत
के टुकडों कों,
सिलने के
पक्के धागे हम,
भगवा ध्वज
लेकर हाथों में, करें शत्रु संहार चलें,
चलो मिलाकर
हाथ चलें, संघ मार्ग पर साथ चलें।
जाति पंथ के भेद भाव को,
संघ नही स्वीकार करेगा,
राष्ट्र धर्म पर आंच न आए,
हर मन में विश्वास भरेगा,
धरती के निर्मल आन्चल पर,
बन गंगा की धार चलें,
चलो मिलाकर हाथ चलें, संघ
मार्ग पर साथ चलें।
हिन्दु राष्ट्र
के स्वप्न सजग में,
अपना गौरव
मान न भूलें,
विश्वगुरू
हो सबल राष्ट्र हो,
करना है बलिदान
न भूलें,
देश धर्म
के कठिन मार्ग पर, हो चाहें अंगार चलें,
चलो मिलाकर
हाथ चलें, संघ मार्ग पर साथ चलें।
-
नीरज द्विवेदी
-
Neeraj Dwivedi
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वाह
ReplyDeleteवाह वाह वाह
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