हाँ मनाऊँगा,
मनाऊँगा न
तुम्हें तो मनाना भी पड़ेगा
तुमसे निभाना भी पड़ेगा
तुम्हें दुनिया
से
हर मुश्किल
से
हर दर्द से
हर आह से
हर बुरी नजर
से छिपाना भी पड़ेगा
अपने जेहन
में
अपनी स्वांसों
में
अपनी आँखों
में
अपने ख्वाबों
में
अपनी रातों
में
अपने शब्दों
में
अपने गानों
में
अपनी नज्मों
में
अपनी सिहरन
में बसाना भी पड़ेगा
तुम रूठ जाओगी
तो मुझसे मेरा अहम् नहीं
रूठ जाएगा
मेरे जीने का वहम नहीं टूट
जाएगा
मेरी साँस नहीं रूठ जाएगी?
-- नीरज द्विवेदी
--
Neeraj Dwivedi
सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबढ़िया सुंदर रचना , नीरज भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक कल दिनांक - ११ . ७ . २०१४ को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeletewww.guide2india.com
Deleteसुंदर रचना
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