धूप से
एक रेशा खींचकर
लपेटना शुरू किया
तो साँझ की शक्ल में
रात आ गयी
उनके साथ
बीते पलों
को
समेटना शुरू
किया
तो समंदर
के पहलू में
बाढ़ आ गयी
तुम्हे पता है
साँझ और समंदर का क्या रिश्ता
है
मुझे तो नहीं पता
पर ये जरूर पता है
साँझ आने पर समंदर में उफान
जरूर आता है …
उसके भीतर एक तूफान जरूर
आता है …
n Neeraj
Dwivedi
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteकल 16/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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