Saturday, June 14, 2014

साँझ और समंदर Sanjh Aur Samandar

धूप से
एक रेशा खींचकर
लपेटना शुरू किया
तो साँझ की शक्ल में
रात आ गयी

उनके साथ
बीते पलों को
समेटना शुरू किया
तो समंदर के पहलू में
बाढ़ आ गयी

तुम्हे पता है
साँझ और समंदर का क्या रिश्ता है
मुझे तो नहीं पता
पर ये जरूर पता है
साँझ आने पर समंदर में उफान जरूर आता है …
उसके भीतर एक तूफान जरूर आता है … 
n  Neeraj Dwivedi

3 comments:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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