बहुत नाजुक से होते हैं
गुलाबी रंग के रिश्ते
मगर
भरोसे के सहारे की
जरूरत तो
यहाँ हर रंग को होती है। --
नीरज द्विवेदी (Neeraj Dwivedi)
ये तो बस कुछ पल होते हैं, जब इतना वैचैन होते हैं,
और वो साथ नही ये जान, हम तो बस मौन होते हैं।
होंठ विवश समझ, चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,
कोशिश खुशी बाँटने की, पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं॥
मैं खता हूँ रात भर होता रहा हूँ इस क्षितिज पर इक सुहागन बन धरा उतरी जो आँगन तोड़कर तारों से इस पर मैं दुआ बोता रहा हूँ ...
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