Friday, April 25, 2014

मुक्तक - भगत सिंह के नारे

मुक्तक भगत सिंह के नारे

जब जब आँखें होतीं बदरा, भाव मेरे बूँदें बन आते,
जब भी बरसा मीठा अम्बर, श्वर मेरे कविता बन जाते,
जीवन की रागनियाँ बजती, और नील गगन में तारे,
सपनों के सरगम पर नाचें, भगत सिंह के नारे।

-- नीरज द्विवेदी 
-- Neeraj Dwivedi

1 comment:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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