Monday, March 10, 2014

गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं Garjane wale aksar barste nahi

गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं

मुझे पता है,
गरजने वाले अक्सर बरसते नहीं,
पर तुम्हें पता है,
वो बरसते नहीं या बरस नहीं पाते?

उनकी भी अपनी हद होती है,
कोई मज़बूरी रही होगी, बरस नहीं सकते,
शायद इसलिए गरजते हैं,
आशान्वित करते हैं,
ढाढस देते हैं,

कि जितना तुम्हें उनके बरसने का इन्तजार है,
शायद उतना ही या उससे अधिक,
उन्हें भी अपने बरसने का इन्तजार है,
इंतजार है खुद के पिघलने का,
तुमसे मिलने का,
तुमसे एक रूप होने का,
और फिर,
मात्र तुम हो जाने का।

n  नीरज द्विवेदी
n  Neeraj Dwivedi

1 comment:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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