Monday, January 27, 2014

क्षणिका – घुंघुरू

क्षणिका – घुंघुरू

बाँध दिए मेरे पैरों में घुंघुरू
शब्दों के
और उसने जाते जाते
छीन लिए
एहसास
कहा अब नाचों
और मैं नाचने भी लगा ….
n  नीरज द्विवेदी Neeraj Dwivedi

n  https://www.facebook.com/LifeIsJustALife

4 comments:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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