Sunday, June 30, 2013

अश्रु और अकेलापन, Asru aur Akelapan

अकेले में,
सुकून से,
आँखों के खाली होने का,
दिल के हलके होने का,
रोने का भी
अपना अलग मजा है …

ये दो चार
अनजान सी बूँदें
न जाने कहाँ से आकर,
सारा बोझ,
सारा नैराश्य,
सारा खेद,
सारा शोक,
सारी निराशा, 
सारा आलस्य,
सारा क्षोभ,
न जाने कैसे
इतनी आसानी से,
इतनी सुगमता से,
न जाने कहाँ
बहा ले जाती हैं …

और एक अद्भुत
चैतन्य पूर्ण प्रेरणा,
एक अनुभव,
एक आग्रह,
एक दिशा,
एक सोच,
एक विचार,
एक लक्ष्य,
और कभी कभी एक नज्म दे जातीं हैं …

एक सुबह दे जातीं हैं … हैं न?

जीवन क्या है? Jeevan Kya Hai?


जीवन क्या है, आसमान  के एक टुकडे  का, मीठा पानी,
गिरा जमीं पर, चला खड़ा हो, कहने को एक नयी कहानी,
थोडा हंसकर  ज्यादा रोया, जो भी पाया  सब कुछ खोया,
खारा होकर  दुनिया से, जब चला  न छोड़ी एक निशानी।

जीवन क्या है, आसमान  के एक टुकडे  का, मीठा पानी
n  Neeraj Dwivedi


Saturday, June 29, 2013

खामोश पलकें Khamosh Palakein

तेरा इन खामोश पलकों,
संग गुप चुप मुस्कुराना,
आँख से कुछ कर इशारे,
तेरा मुड कर रूठ जाना।

शबनम सा चुपके से बरसना,
और फूलों की पनाहें,
तेरा ये पलकें झुकाना,
और तिरछी सी निगाहें।

ऐ ख़ुशी तू रोक ले अब
और ये कातिल इशारे,
छोड़ कर जाती कहाँ
मदहोश कर किसके सहारे?

ऐ ख़ुशी तू रोक ले अब,

और ये कातिल इशारे। 
-- Neeraj Dwivedi

Thursday, June 6, 2013

ये क्या बेहूदगी है? Ye kya behudagi hai?

ये क्या बेहूदगी है?

तेज हवाएं
धूल भरी आंधी
टूटे फूटे अरमान चीथड़ों से
पता नहीं किसके
जाने कहाँ से लेकर आना
जहाँ मन चाहे फेंक जाना
गडगडाना चिल्लाना
और बरस जाना ...

आज ही तो सूखने को डाले थे
अपने अरमानों के टुकडे
अजन्मी नज्मों के मुखड़े
कुछ टूटे फूटे एहसास
हाँ कुछ जख्म भी
और तुम
आकर फिर नम कर गए ...


ये क्या बेहूदगी है?

Wednesday, June 5, 2013

एहसास Ehsas

चाहे जितनी कोशिश कर लूँ
पूरा होने की

पर मुझे पता है
तुम्हारे बिना अधूरा ही रहूँगा
अतृप्त ही रहूँगा
सूनी आँखों से क्षितिज को निहारता ही रहूँगा ...

देखूँगा स्वयं को
डूबता हुआ
पिघलता हुआ
रोज चारो ओर ...

ढलकता ही रहूँगा आँखों से
एक आस छोड़कर
आँखों में
अगली सुबह के लिए
वो अगली शाम को ढलेगी
लुढ़ककर
धूल को नम कर जाएगी ... शायद तुम्हे भी

फिर भी तुम्हे एहसास नहीं होता?

या होता है?

-- Neeraj Dwivedi

-- https://www.facebook.com/LifeIsJustALife

Monday, June 3, 2013

बोझ आँखों का Bojh Ankhon Ka

क्या देखते हो
आईने में 
लाल आंखें 
गालों पर सूखा पानी 
अपना हाल ....?

अब क्यों ये हाल बना रखा है?
बहा तो दिया 
अभी अभी 
थोड़ी देर पहले
सारा का सारा 
बोझ आँखों से ....

एक दो बूँद हैं 
शायद बच गयीं है
बनी रहने दो 
किसी और दिन काम आयेंगी।

-- Neeraj Dwivedi

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