शब्द का विन्यास धरती का
रुदन इतिहास,
केवल चल रही है या लड रही
है जिन्दगी?
स्नेह आंचल
का आंख काजल का परिहास,
केवल हंस
रही है या रो रही है जिन्दगी?
शक्ति शान्ति सत्य का आधार
विश्वास,
कुछ पा रही है या सब खो
रही है जिन्दगी?
मनुष्य का
जन्म कर्म और फिर सन्यास,
बीज बो रही
है या दाग धो रही है जिंदगी?
मात्र लक्ष्य का है ध्यान
और राह का उपहास,
आजकल जग रही है या सो रही
है जिंदगी?
-- नीरज द्विवेदी
-- Neeraj Dwivedi
Bahut Bahut Abhar Rajiv Ji
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