Tuesday, November 19, 2013

ऐ भारत मेरे, खोजते हम तुम्हें हैं Ye Bharat Mere, Khojte hum tumhe hain

ढूंढते हम तुम्हें सोचते हम तुम्हें हैं,
ऐ भारत मेरे खोजते हम तुम्हें हैं,

गंगा के जल से कहां गुम हुये हो,
घायल हिमालय से गुमसुम हुये हो,
वो वादी दहशतजदा हो गयी है,
रक्तिम चमन की फ़िजा हो गयी है,
मैं भूला नहीं हूं वो चोटें तुम्हारी,
ये टुकडे तुम्हारे कराहें तुम्हारी,
टूटना ये तुम्हारा मेरे नयन से,
ओस सा छूट जाना चुपके पवन से,
गिरना बहना छिप छिप पिघलना,
तम में किरण कोई पाकर संभलना,
आस के बादलों पर टिका सर्द नजरें,
घटाओं के संग अपने चेहरे बदलना,

माटी के टुकड़ों में दिखते नहीं हो,
बादल में बन बन कर छिपते नहीं हो
कहाँ खो गए हो कहाँ सो गए हो,
इंद्रधनुषी नजारों में दिखते नहीं हो,
हमें है पता तुम हो गमगीन बेहद,
हरकतें कुछ हमारी है संगीन बेहद,
ठीक गुस्सा तुम्हारा मगर रूठ जाना,
गलत है मात का पुत्र से दूर जाना,
कान पकड़ो हमारे मगर पास आओ,
प्रेरणा दो साथ में एक दो लगाओ,
जानने को तुझे बस तुझे जानता हूँ,
हे भारत तुझे बस तुझे चाहता हूँ,

ढूंढते हम तुम्हें सोचते हम तुम्हें हैं,

ऐ भारत मेरे खोजते हम तुम्हें हैं।

1 comment:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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