Monday, October 7, 2013

रेशे Reshe

रेशे

कल शाम
बिछुड़ गए मुझसे
मेरे कई अधूरे शब्द,
खो गए
कुछ अस्पष्ट भाव
बिखरे हुए
अजन्में विचार
और
दूर हो गयीं मुझसे
कुछ अधूरी पंक्तियाँ
अधपकी नज्में
और मेरे अंग …….

लगा जैसे
कुछ रेशे निकल गए हों
मेरे जेहन के
मेरी आत्मा के …….

-    Neeraj Dwivedi

-    नीरज द्विवेदी

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........

    कल शाम
    बिछुड़ गए मुझसे
    मेरे कई अधूरे शब्द,
    खो गए
    http://poetry.neerajdwivedi.com/2013/10/reshe.html

    बुधवार 09/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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