Monday, October 14, 2013

भारत में गौहत्या - एक दंश

कल फिर
अनगिन निरीह आहें निकलेंगी
इसी भूमि पर
फिर से धरती को सहना होगा
अथाह संताप
कातर चीत्कारें
अस्पष्ट मार्मिक पुकारें
बूचडखानों से निकलेंगी
कुछ जीवों की संतप्त ध्वनियाँ
जिन पर दिखाया गया होगा वीरत्व
कुछ शांतिप्रिय सज्जन लोगों द्वारा

आपको क्या लगता है
क्या ये धरती सह पाएगी
निरीह आर्त पुकारों को
अपने जेहन में शांत कर पाएगी
इन अपरिमित चीत्कारों को

महाकुम्भ की भगदड़ याद है
उत्तराँचल का विद्रूप रूप
कल का रतनगढ़ में
पुल टूटने की अफवाह
और उसके बाद बिछी लाशें तो नहीं भूले होगे

कुछ समझ आया

भले ही ये सब करते हैं वो लोग
जो शायद गलत हैं
पर मैं सहमत हूँ
कि दंड उन्हें ही मिलना चाहिए
जो चुप हैं,
कायर हैं, खामोश हैं।

चाहे बात गौहत्या की हो
या भारत में राजनीति की निरंकुशता की।

जय गौ माता, जय भारत

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