अभी मैं
movie देख रहा था - वीर सावरकर
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Snapshot from the movie Veer Savarkar. |
एक घटना उधृत
कर रहा हूँ ---
वीर विनायक
दामोदर सावरकर के बचपन का नाम था तात्या। तात्या जब वकालत के लिए लन्दन गए तो वहाँ
सबसे पहले उन्होंने इटली के बड़े क्रन्तिकारी मैजिनी की आत्मकथा का मराठी में अनुवाद
किया। उस पुस्तक को उन्होंने पूने अपने बड़े भाई को भेजी उसे प्रकाशित करने और स्वतंत्रताप्रेमी
नवयुकों को वितरित करने के लिए। सावरकर भाईयों के प्रेरणास्त्रोत थे तिलक (बाल गंगाधर
तिलक (नेता गरम दल)).
एक दिन तिलक
ने तात्या के बड़े भाई से पूँछा कि पुस्तक को प्रकाशित करने का व्यय कहाँ से जुटाया?
उन्होंने कहा लोगों से एडवांस में ले लिया फिर पुस्तक छपवाकर तत्काल उन सब तक पहुंचा
दी गयी। तिलक ने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा इसी धन से सारा काम हो गया, मैं तो इसलिए
पूँछ रहा था कि अगर किसी का उधार बाक़ी रह गया हो तो मैं कुछ मदद करूँ। उस माँ भारती
के सपूत ने हिचकते हुए कहा, नहीं नहीं इसकी जरुरत नहीं है, कुछ पैसा कम पड़ा था तो मेरी
और सावरकर की पत्नी ने अपनी चूड़ियाँ बेंच दी।
कुछ दिनों
बाद उनके भाई को कालेपानी भेज दिया गया और उन दोनों देवियों को बेघर कर दिया गया।
है न अद्भुत
... कैसे कैसे लोग थे वो।
उत्तम प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार-