Thursday, August 15, 2013

खोखला भाषण - १५ अगस्त २०१३ Khokhla Bhashan - 15 August 2013

देखीं आज कतारें दिल्ली में रंगों की मूक इशारों की,
PM के भाषण में गयी सुनाई  ख़ामोशी दरबारों की,

भारत के  ठेकेदारों ने  कायरता  इस कदर दिखाई,
टूटी चीखों  के आगे मरता आवाहन न पड़ा सुनाई,
न जाने किस आज़ादी की भारत को दी गयी बधाई,
लालकिले को वीरों के कटे सिरों की याद नहीं आई,

दिल्ली में होती तार तार बहनों की चीख नहीं देखी,
सतरंगी वादों पर पलती  भारत की भूख नहीं देखी,
सीमा पर हो गए शहीदों की माँओं का दर्द नहीं देखा,
वीरों की ललनाओं के  सिंदूरों का सन्दर्भ नहीं देखा,

वो काश्मीर जहाँ केसर में  संगीत सुनाई देता था
काश्मीर जो सुन्दरता का  पर्याय दिखाई देता था
कहाँ गयी उस किश्तवाड़ की रक्तिम चीखों की भाषा,
आज देश को याद नहीं उस  काश्मीर की परिभाषा,

लालकिले ने जिक्र न छेड़ा भारत के उन घावों का,
देशद्रोहियों की  हरकत का  जयचंदों के धावों का,
सीमा पार पडोसी को बस समझाने की कोशिश की,
शोणित का वो ज्वार न देखा बहता वीर जवानों का,

वो अर्थ नहीं जाने अब तक भाषा का बलिदानों की,
दरबारों को  याद नहीं  है  मरते हुए  किसानों की,
भारत की धरती बनी बपौती चीलों गिद्ध सियारों की,
आवाज सुनाई देती जब तब  आतंकी हथियारों की,

दरबारों की समझ गरीबों का कोई अस्तित्व नहीं,
भूख प्यास से रहा कभी गरीबी का सम्बन्ध नहीं,
ये बस एक सोच मात्र है मानव के मन का धोखा,
भूख से इस महापुरुष का रहा कभी अनुबंध नहीं,

देश गिफ्ट कर  दामादों को  शोर मचाया जाता है,
किसानों  को २-४ रुपये का  चेक पकडाया जाता है,
खेत छीन कर कागज के टुकडे दिखलाते हो उनको,
हक़ मार कर उसी अन्न की भीख दिखाते हो उनको,

सेना को बदहाली देकर खोखला बना रहें हैं वो,
भारत को कंगाली देकर घोंसला बना रहे हैं वो,
लालकिले से आसमान के तारे दिखा दिखा कर,
धरती को उन्नति का ढकोसला दिखा रहे हैं वो,

आओ देशवासियों  हमको  परिवर्तन बनना होगा,
धर्म जाति को छोड़ राष्ट्र का आवाहन बनना होगा,
सही समय पर सही व्यक्ति को ही चुनकर लाना होगा,
हमको ही इस कुटिल समय का आवर्तन बनना होगा।

आज  देशवासियों  हमको  परिवर्तन बनना होगा।

3 comments:

  1. truly depicts the current scenario of INDIA.. very well composed and heart touching poem.. m proud of u Neeraj

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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