चलो समेटो टुकडे
हर घर से
हर कोने से
हर मंदिर से
महलों से झोपड़ियों से
हर गली मोहल्ले गाँव शहर से
फुटपाथों से
पुल के नीचे से
हर एक जगह से जहाँ कभी कोई सोता है
मैं फिर से बांटूंगा तुझको
ऐ आसमान
इस बार बराबर दूंगा।
-- Neeraj Dwivedi
https://www.facebook.com/LifeIsJustALife
waaaaaaaaaaah
ReplyDeletebhot khub