तुम आँसू नहीं जान
ले लो ...
मेरा भी इम्तिहान ले लो ...
छुआ तो एहसास हो जाएगा,
हाथों में तीर कमान
ले लो ...
मरने दो इंसानियत सड़कों पर,
दायें से अपना ईमान ले लो ...
सौप दो मुझे भुखमरी
और दर्द,
बाकी तुम सारा जहान ले लो ...
पलने दो मेरे भारत को गाँव में,
तुम शहरों का हिंदुस्तान ले लो ...
हम फकीरी ठाठ से पलते हैं,
अपने किये हुए एहसान ले लो ...
छोड़ना नहीं अरबों की मिल्कियत,
जाते जाते अपना सामान ले लो ...
-- Neeraj Dwivedi
पलने दो मेरे भारत को गाँव में...
ReplyDeleteतुम शहरों का हिन्दुस्तान लेलो ।
ये पंक्तियां रचना की जान हैं।
सादर
वाह सुन्दर रचना |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 20/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह ! अति सुंदर !
ReplyDeletebhot khub ...waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeletesundar ati sundar.....
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