तुम आँसू नहीं जान
ले लो ...
मेरा भी इम्तिहान ले लो ...
छुआ तो एहसास हो जाएगा,
हाथों में तीर कमान
ले लो ...
मरने दो इंसानियत सड़कों पर,
दायें से अपना ईमान ले लो ...
सौप दो मुझे भुखमरी
और दर्द,
बाकी तुम सारा जहान ले लो ...
पलने दो मेरे भारत को गाँव में,
तुम शहरों का हिंदुस्तान ले लो ...
हम फकीरी ठाठ से पलते हैं,
अपने किये हुए एहसान ले लो ...
छोड़ना नहीं अरबों की मिल्कियत,
जाते जाते अपना सामान ले लो ...
-- Neeraj Dwivedi