Tuesday, February 12, 2013

ये नन्हे चिराग Ye Nanhe Chirag



मत बहाना बूँद आँखों  से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

ये भविष्यत्  की आवाज है,
केवल अश्रु  की फरियाद है,
इन आर्द  आँखों की जरुरत,
बस  प्यार की  बुनियाद है।

ये अस्थि पंजर दिख रहे हैं,
कुछ हाथ  बंजर लग रहे हैं,
आँखों की जुबानी प्यार की,
एक आस तुमसे कर रहे हैं।

इन्हें  डांटकर फटकार कर,
उनकी रईसत  छड रही है,
इन्हें दुत्कारने की हिम्मत,
अब  तुझसे नहीं  होगी, बू
इंसानियत की  आ रही है।

देखो इन्हें करीब से तुम जरा इन्ही के नसीब से,
अभी जो जगी तेरे दिल में  हरारत सो न जाये।
मत बहाना बूँद  आँखों से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

तुम चाहो इनको बरगलाओ,
या उपेक्षा  कर भूल  जाओ,
अपनत्व  का  देकर  सहारा,
तुम चाहो तो सपने दिखाओ।

पर भूलना मत जो भी करना,
देना  सहारा  या छोड़ देना,
तुम्हारा  कल इन्हीं के हाथ
होगा बात मेरी याद रखना।

ये भूख  इनको खा रही है,
तेरी आँख  देखे जा रही है,
अनजान  होने का  नाटक,
अब तुझसे  नहीं होगा, बू,
इंसानियत  की आ रही है।

चुपके से चाहे अनचाहे जो तेरे जेहन में उमड़ी,
भावना की  निशब्द  बदली खाली हो न जाये।
मत बहाना बूँद आँखों से ये मोती खो न जायें,
ये नन्हे चिराग देश के धूल में गुम हों न जायें।

7 comments:

  1. बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  2. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 13/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  3. मार्मिक रचना..

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  5. तुम्हारा कल इन्हीं के हाथ
    होगा बात मेरी याद रखना।
    - नीरजा जी, सचमुच देश के कल को सँवारने के लिये ,इन्हेंसाथ लेना बहुत ज़रूरी है !

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  6. मार्मिक रचना .... इस देश के भविष्य को संभालना होगा ।

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  7. मर्म को छूती रचना


    सादर

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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