तेरी उदास आँखें
चश्में का सहारा ले
छिपा लेतीं हैं दर्द तेरा
आँखों का किनारा ले।
टूट जा अब
बिखर जा अब
पा ले खुद को, सुधर जा अब।
पत्थर होने
का
नाटक मत कर
शीशा बनकर
बिखरा मत
कर
रिश्तों का
बोझ
सर पर ढोकर
नदिया पार
कराया मत
कर।
मर जाने दो
टूटे नातें
बह जाने दो
बोझिल बातें
टूटे स्वप्नों की सौगातें
बस कर भीतर
भीतर मरना
दर्द पराया
बह जाने दे
तू खुद को खुद में ही पाकर
एक बार तो जी जाने दे।
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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --