चमचमाती रोशनी देखी है, जिसने ख्वाब में बस,
मैं उन्हीं की आँख का, पानी बना बहता रहूँगा।
जिसने स्वेद और रक्त में, अंतर नहीं जाना कभी,
मैं उन्हीं का शक्ति पूजन, भक्त बन करता रहूँगा।
जिसने बो दिये हो बीज, लड़ झगड़ बंजर जमीं में,
मैं उन्हीं की श्रमिकता का, गान बन गूँजा करूंगा।
शब्द जिनके चाशनी, औ दिल गुलाबों से भरा हो,
मैं उन्हीं का साथ लेकर सबके दिल जीता करूंगा।
सो कर गगन की छांव में, अट्टालिका बुनते रहे हैं,
मैं उन्हीं हाथों के रूठे, भाग्य
से लड़ता रहूँगा।
चुन गए जो नींव में, गुमनाम से बलिदान होकर,