बचपन में अक्सर इस गीत को गुन गुनाया है
हमने। आज बहुत दिनों बाद मिल गया FB पर। तब भी नहीं पता था किस महान व्यक्ति ने लिखा है
ये सुन्दर गीत, न ही आज पता है। फिर भी संकलन करने के
उद्देश्य से इसे अपने ब्लॉग में स्थान दे रहा हूँ। आप सबको भी अच्छा लगेगा।
हे जन्म भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत,
हे वन्दनीय भारत, अभिनंदनीय भारत,
जीवन सुमन चढ़ाकर आराधना
करेंगे,
तेरी जनम-जनम भर, हम वंदना करेंगे,
हम अर्चना करेंगे ||१||
महिमा महान तू है, गौरव निधान तू है,
तू प्राण है हमारी, जननी समान तू है,
तेरे लिए जियेंगे, तेरे लिए मरेंगे,
तेरे लिए जनम भर हम साधना करेंगे,
हम अर्चना करेंगे ||२||
जिसका मुकुट हिमालय, जग जग मगा रहा है,
सागर जिसे रतन की, अंजुली चढा रहा है,
वह देश है हमारा, ललकार कर
कहेंगे,
इस देश के बिना हम, जीवित नहीं रहेंगे,
हम अर्चना करेंगे ||३||
जो संस्कृति अभी तक दुर्जेय सी बनी है,
जिसका विशाल मंदिर, आदर्श का धनी है,
उसकी विजय ध्वजा ले हम विश्व में चलेंगे,
संस्कृति सुरभि पवन बन, हर कुञ्ज में बहेंगे,
हम अर्चना करेंगे ||४||
शास्वत स्वतंत्रता का जो दीप जल रहा है,
आलोक का पथिक जो अविराम जल रहा है,
विश्वास है कि पल भर रुकने उसे न देंगे,
इस दीप की शिखा को ज्योतित सदा रखेंगे,
हम अर्चना करेंगे ||५||
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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --