Monday, December 3, 2012

दीवार को बहना पड़ेगा Deewar ko Bahna Padega


रौशन शहर के एक कोने में  मेरा भी घर बनेगा,
फिर भी पतंगों को हमेशा आग में जलना पड़ेगा?

हम तुम्हारी राह में  अनगिन सितारे गढ़ चलेंगे,
तुमको तुम्हारी चाँदनी में रंग मेरा भरना पड़ेगा।

चाँद हो तुम कह चूका हूँ दाग भी दिखता नहीं है,
नजर न लग जाये,  मुझको दाग एक देना पड़ेगा।

तोड़ देना जब भी चाहो दिल हो या फिर हों दीवारें,
घूमकर  जब भी  थकोगे  घर इसी  आना पड़ेगा।

तुम भूल जाना  पिछली बातें  और मेरी सर्द रातें,
धक से आकर  जोर से सीने से लग जाना पड़ेगा।

फिर गगन की छाँव होगी और कुछ एक बदलियाँ,
चारो जब बरसेंगीं जम कर दीवार को बहना पड़ेगा।

1 comment:

  1. क्या बात है नीरज भाई! कुछ अलग लेकिन रूमानी अंदाज !!!!

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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