आज चल पडा निर्दोष जीवन,
रह गयीं निःशब्द राहें अनमनी,
ये धरा, बादलों
की पालनाघर,
इतिहास और शौर्य की जमीं।
चांद तारे खेलते इस
नगर,
सन्दर्भ का इतिहास का धनी,
हो विश्व का महान एक
देश,
जिसके सुर संगीत का
ॠणी।
माँ चामुण्डा का स्थान जहाँ,
पूजा जाये रावण जैसा ज्ञानी,
शक्ति ज्ञान का अद्भुत संगम,
कवेरी तट की भूमि बडी विज्ञानी।
सुबह सवेरे उतर
व्योम से,
फिर सांझ सूर्य को पिघलाकर,
झट कर देती दुर्गा को अर्पण,
अद्भुत नगरी कुंकुम
शबनमी।
चंचल चाँद तारे तोड
सारे,
पावन नदी के सुरभित किनारे,
गूँथ इन्द्रधनुषी मालाएं,
शब्दहीन दैव अर्पित रागिनी।
रह गयीं निःशब्द राहें अनमनी,
अलविदा मैसूर जीवन
रेशमी।
Wowwww.....lovely lines..
ReplyDeleteultimate Neta Ji.....
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