Thursday, November 22, 2012

अब चोटें दिल दुखातीं नहीं Ab Chotein Dil Dukhati Nahin


इस ज़माने की चोटें, अब दिल दुखातीं नहीं,
ये रूठीं बदलियाँ आह को आँसूं बनाती नहीं।

मेरी जिंदगी बस ओस की एक बूँद है जैसे,
ये प्यास बढाती तो है, पर  बुझाती  नहीं।

हम डूबे झीलों में थे, पर मिला  कुछ नहीं,
वो दोनों नीलीं  तो थीं, पर  समंदर  नहीं।

जलाया एक चिराग था, उस चाँद के लिए,
अब उस दिए में बची, वही एक बाती नहीं।

ये चल रही  नाव, एक दिन  डूबेगी जरुर,
इन इंतजारों  में अब, मौज  आती  नहीं।

कुछ यादों को उस दिन दफ़न कर दिया था,
अब नीदें आती तो हैं, सपने  दिखाती नहीं।

मुस्कुराता चेहरा, लादने की  है आदत मुझे,
जिंदगी के चुटकुलों की शोखियाँ हंसाती नही।

तारे टूट कर उस दिन, कुछ गिरे इस कदर,
लगा वो भी रोती तो हैं शायद जताती नहीं।

4 comments:

  1. बेहतरीन पोस्ट..सुंदर भाव!

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  2. कल 25/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. मन के कोमल भावो को प्रस्तुत करती
    अति सुन्दर रचना...
    :-)

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प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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