इस ज़माने की चोटें, अब दिल दुखातीं नहीं,
ये रूठीं बदलियाँ आह को आँसूं बनाती
नहीं।
मेरी जिंदगी बस ओस की एक बूँद है जैसे,
ये प्यास बढाती तो है, पर बुझाती नहीं।
हम डूबे झीलों में थे, पर मिला कुछ नहीं,
वो दोनों नीलीं तो थीं,
पर समंदर नहीं।
जलाया एक चिराग था, उस चाँद के लिए,
अब उस दिए में बची, वही एक बाती नहीं।
ये चल रही नाव, एक दिन डूबेगी जरुर,
इन इंतजारों में अब,
मौज आती नहीं।
कुछ यादों को उस दिन दफ़न कर दिया था,
अब नीदें आती तो हैं, सपने दिखाती नहीं।
मुस्कुराता चेहरा, लादने की है आदत मुझे,
जिंदगी के चुटकुलों की शोखियाँ हंसाती नही।
तारे टूट कर उस
दिन, कुछ गिरे इस कदर,
लगा वो भी रोती तो हैं शायद जताती
नहीं।
बेहतरीन पोस्ट..सुंदर भाव!
ReplyDelete
ReplyDeleteकल 25/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
मन के कोमल भावो को प्रस्तुत करती
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...
:-)
बहुत खूब
ReplyDelete