कब तक तुम्हारी याद के, मोती
बनाऊँ अश्रु रीते?
तुम इंद्रधनुषी रेख हो या,
आँख का काजल सुहाना?
तुम गीत का सृंगार
हो या,
कोई रंग भावों का
पुराना?
रागिनी अपने हृदय की, किसको
सुनाऊँ राग बीते?
कब तक तुम्हारी याद के, मोती बनाऊँ अश्रु रीते?
कब तक भावना का बोझ,
आँखों में लिए फिरता
रहूँगा?
कब तक निर्मोह का
उपदेश,
पन्नों में दिये
चलता रहूँगा?
कब तक रहूँ मैं चुप, कैसे
दफनाऊँ स्वप्न बीते?
कब तक तुम्हारी याद के, मोती
बनाऊँ अश्रु रीते?
अब मैं तेरी हर याद
में,
जलकर पिघलना चाहता
हूँ,
मैं तेरे आगोश में
ही,
पल पल बिखरना चाहता
हूँ,
कब तक लगाऊँ आस, जो सच्चे हृदय की टेक
जीते?
n Neeraj Dwivedi
nice presentation.नारी के तुल्य केवल नारी
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत खूब ... मन के कोमल भाव ...
ReplyDeleteखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
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