Tuesday, August 21, 2012

अश्रु रीते Asru Reete


कब तक तुम्हारी याद के, मोती बनाऊँ अश्रु रीते?
तुम  इंद्रधनुषी रेख हो या,
आँख का  काजल सुहाना?
तुम गीत का सृंगार हो या,
कोई रंग भावों का पुराना?
रागिनी अपने हृदय की, किसको सुनाऊँ राग बीते?
कब तक तुम्हारी याद के, मोती  बनाऊँ अश्रु रीते?
कब तक भावना का बोझ,
आँखों में लिए फिरता रहूँगा?
कब तक निर्मोह का उपदेश,
पन्नों में दिये चलता रहूँगा?
कब तक रहूँ मैं चुप, कैसे दफनाऊँ स्वप्न बीते?
कब तक तुम्हारी याद के, मोती बनाऊँ अश्रु रीते?
अब मैं तेरी हर याद में,
जलकर पिघलना चाहता हूँ,
मैं तेरे आगोश में ही,
पल पल बिखरना चाहता हूँ,
कब तक लगाऊँ आस, जो सच्चे हृदय की टेक जीते?
कब तक तुम्हारी याद के, मोती बनाऊँ अश्रु रीते?
n  Neeraj Dwivedi

4 comments:

प्रशंसा नहीं आलोचना अपेक्षित है --

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