तुम बिन आँसू पानी से हैं,
अखियाँ हैं अब सूखा पोखर,
तुम बिन राहें बड़ी
कठिन हैं,
कैसे जीतूँ तुम बिन
होकर।
तुम बिन नींद न पाएँ नैना,
अब रातें बस घुप्प अंधेरा,
तुम बिन खुशियां टूटी फूटी,
कुछ सपनों का उजड़ा डेरा।
तुम बिन भूले कहाँ है
जाना,
राहें धुंधली बड़ी कठिन
हैं,
तुम बिन जीना मरणतुल्य
है,
नदियाँ भी अब हुई मलिन
हैं।
आज क्षितिज ने नहीं मिलाई,
धरती नभ की अमिट जुदाई,
तुम बिन भूला सूरज जलना,
भूल गया चंदा भी बढ़ना।
तुम बिन तारे धुंधले से हैं,
पत्थर दिल के पिघले से
हैं,
तुम बिन पौधे भूले
खिलना,
पुष्प बिचारे भूले फलना।
तुम बिन नैना तरस रहे हैं,
गम फूलों से बरस रहे हैं,
अब तो आओ झलक दिखाओ,
अब तो तुम मेरे हो जाओ।
तुम बिन आँसू टुकड़े टुकड़े,
तुम बिन रिश्ते उखड़े
उखड़े,
तुम बिन किस्मत रूठी
ऐसे,
नदियाँ भूखी प्यासी
जैसे।
तुम बिन बेवश है पुरबाई,
तुम बिन रूठी है अमराई,
अब तो कुहुक न कोयल बोले,
तुम बिन भोर न आँखें खोले।
तुम जीवन के रंग लिए हो,
तुम खुशियों को संग किए
हो,
तुम बिन बंजर सा अंबर है,
तुम बिन रिक्त पड़ा
अंतर है।
हर मौसम के संग तुम्ही हो,
इंद्रधनुष के रंग तुम्ही हो।
अब तो आओ झलक दिखाओ,
अब तो तुम मेरे हो जाओ ।
उत्कृष्टता बरकरार |
ReplyDeleteI can't write like this, I have to work hard on my poetry lengths. BTW I wrote a hindi poem with the same title today. :)
ReplyDeleteसारू जी बहुत अच्छी बात है की आपने भी इसी शीर्षक की एक कविता लिखी। मैंने पढ़ी भी, मुझे बहुत अच्छी लगी। बहुत भावपूर्ण थी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रविकर जी, मार्गदर्शन करते रहिएगा
Ek bhav poorn rachna .
ReplyDeleteMeenakshi Srivastava
meenugj81@gmail.com